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Anadi Anidhan Mahamantra – Namokar Mantra!!अनादि अनिधन महामंत्र- णमोकार मंत्र!!

Anadi Anidhan Mahamantra – Namokar Mantra अनादि अनिधन महामंत्र- णमोकार मंत्र !! Anadi Anidhan Mahamantra – Namokar Mantra !! णमो अरिहंताणं,णमो सिद्धाणं,णमो आाइरियाणं,णमो उवज्झायाणं,णमो लोए सव्वसाहूणं। अर्थ: णमो अरिहंताणं-अरिहंतों को नमस्कार हो, णमो-सिद्धाणं-सिद्धों को नमस्कार हो.  णमो आयरियाणं-आचार्यों को नमस्कार हो.  णमो उवज्झायाणं- उपाध्यायों को नमस्कार हो, णमो लोए सव्व साहूणं-लोक के सभी साधुओं को

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What is Jainism? (जैन धर्म क्या है?)

What is Jainism? जैन धर्म’ क्या है? (What is Jainism?) ‘जैन धर्म’ का अर्थ है – ‘जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म’ । ‘जिन’ शब्द बना है संस्कृत के ‘जि’ धातु से। ‘जि’ माने – जीतना। ‘जिन’ माने जीतने वाला अर्थात् जिन्होंने राग-द्वेष को जीत लिया है और विशिष्ट आत्मज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया, उन आप्त

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Nature of the Universe in Jainism !जैन धर्म में ब्रह्माण्ड का स्वरुप!

Nature of the Universe in Jainism जैन धर्म में ब्रह्माण्ड का स्वरुप !! Nature of the Universe in Jainism !! ब्रह्मांड क्या है? ब्रह्मांड कैसा है? ब्रह्मांड कब से है?  ब्रह्मांड कब तक है?  ब्रह्मांड किसके द्वारा बनाया गया है?  ब्रह्मांड किसके द्वारा नष्ट किया जायेगा? – ये ऐसे ज्वलंत प्रश्न हैं जो हम सभी

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Form of God in Jainism ! जैन धर्म में ईश्वर का स्वरुप !

जैन धर्म में ईश्वर का स्वरुप !! Form of God in Jainism !! कतिपय विचारक जैनदर्शन को इसलिए ‘नास्तिक दर्शन’ कहते हैं कि ‘यह दर्शन ईश्वर को नहीं मानता’—किन्तु उनका यह चिन्तन नितान्त भ्रामक एवं दुराग्रहपूर्ण है; क्योंकि जैनदर्शन मात्र ईश्वर को मानता ही नहीं बल्कि ईश्वर बनाने का मार्ग भी बताता है, जबकि अन्य

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form of monk in jainism !जैन धर्म में साधु का स्वरुप!

जैन धर्म में साधु का स्वरुप जैन दिगम्बर साधु कैसे बनते हैं?जैन धर्म में दीक्षा लेना यानी सभी भौतिक सुख-सुविधाएं त्यागकर एक सन्यासी का जीवन बिताने के लिए खुद को समर्पित कर देना. जैन धर्म में संन्यास धर्म का पालन करने वाले व्यक्तियों को मुनि/ निर्ग्रन्थ एवं श्रमण कहा जाता हैं। जैन मुनि के लिए

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History of Jainism !जैन धर्म का इतिहास!

इतिहास की दृष्टि से देखें तो जैन धर्म का इतिहास वर्तमान में दिखाई देने वाले इस पृथ्वी से भी प्राचीन है क्योंकि वर्तमान में हमें जो पृथ्वी का हिस्सा दिखाई दे रहा है  वह जैन शास्त्रों के अनुसार भरत क्षेत्र के छह हिस्सों में से मात्र एक हिस्सा है जिसे आर्य खण्ड कहा जाता है

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Contribution of Jains in Bharat development !भारत विकास में जैनों का योगदान!

*देश की कुल जनसंख्या का १ प्रतिशत जैन समाज है, लेकिन देश के विकाश में उसका योगदान उल्लेखनीय है-देश के कुल इन्कम टैक्स का २४ प्रतिशत जैन समाज भरता है| देश में होने वाले दान-दक्षिणा का ६२ प्रतिशत दान जैन समाज द्वारा दिया जाता है|देश में संचालित कुल १६ हजार गोशालाओं में से १२ हजार गोशालायें

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Misleading facts about Jainism !जैन धर्म विषयक भ्रामक तथ्य!

जैन धर्म की स्थापना भगवान महावीर ने की थी? इस प्रश्न के उत्तर जानने के पूर्व आप २ शब्दों के अर्थ को समझलें| आपने २ शब्द सुने होंगे – १. संस्थापक २. प्रवर्तक|  संस्थापक का अर्थ होता है ” स्थापित करने वाला ” और प्रवर्तक का अर्थ होता है ” प्रवर्तन करने वाला/ पूर्व से

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Jain doctrine !जैन सिद्धांत!

Jain doctrine  1. अनेकान्त-  अनेक+अन्त= अनेकान्त। अनेक का अर्थ है-एक से अधिक, अन्त का अर्थ है गुण या धर्म वस्तु में परस्पर विरोधी अनेक गुणों या धर्मों के विद्यमान रहने को अनेकान्त कहते हैं। इसे ऐसा समझ सकते हैं कि जीव की पर्यायें बदलती रहती हैं इसलिए जीव अनित्य है, लेकिन उन सभी पर्यायों में

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Jain principles my base ( by popular celebrity) !जैन सिद्धांत मेरे आधार!

Jain principles my base अंडा-चिकन छोड़कर शाकाहार की ओर चले कप्तान कोहली, खेल में आया ‘विराट’ निखार:- टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली जब युवा थे तब बिरयानी और छोले-भटूरे से उनका बेहद लगाव था। मगर अब वह दिन लद चुके हैं और विराट कोहली की शानदार फिटनेस जारी है। अपनी फिटनेस स्तर में बदलाव

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Ancient and modern philosophy prevalent in India!(भारत में प्रचलित प्राचीन एवं आधुनिक दर्शन)

भारत में प्रचलित प्राचीन एवं आधुनिक दर्शन ‘कर्मारातीन् जयतीति जिन:’ इस व्युत्पत्ति के अनुसार जिसने राग द्वेष आदि शत्रुओं को जीत लिया है वह ‘जिन’ है। अर्हत, अरिहंत, जिनेन्द्र, वीतराग, परमेष्ठी, आप्त आदि उसी के पर्यायवाची नाम हैं। उनके द्वारा उपदिष्ट दर्शन जैनदर्शन हैं। आचार का नाम धर्म है और विचार का नाम दर्शन है

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