अंडा-चिकन छोड़कर शाकाहार की ओर चले कप्तान कोहली, खेल में आया ‘विराट’ निखार:-
टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली जब युवा थे तब बिरयानी और छोले-भटूरे से उनका बेहद लगाव था। मगर अब वह दिन लद चुके हैं और विराट कोहली की शानदार फिटनेस जारी है। अपनी फिटनेस स्तर में बदलाव करने के लिए विराट कोहली ने कुछ समय पहले शुद्ध शाकाहारी बनने का फैसला किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टीम इंडिया के कप्तान ने चार महीने पहले पशु प्रोटीन से दूर रहने का फैसला किया और उनका मानना है कि इससे उनके खेल में मदद मिली है। कोहली की मौजूदा डाइट में प्रोटीन शेक, सब्जियां और सोया शामिल है। उन्होंने अंडे और डेयरी प्रोडक्ट्स (दुग्ध उत्पाद) से दूरी बना ली है।
सूत्रों के मुताबिक कोहली ने चार महीने पहले से इस डाइट को अपनाया और उन्हें महसूस होता है कि इससे उनकी पाचन शक्ति मजबूत हुई है। कोहली को मटन, अंडे और दुग्ध उत्पादों की कमी नहीं खलती। कोहली के आहार के अपने स्वभाव पर एक शांत प्रभाव पड़ा है।
कोहली की पत्नी अनुष्का शर्मा भी इसी समय शाकाहारी बन चुकी हैं, लेकिन कोहली ने इससे पहले ही बदलाव की योजना बना ली थी। सूत्र ने कहा, ‘दो साल पहले जब कोहली आम डाइट पर थे, तब ही उन्होंने कह दिया था कि अगर विकल्प मिले तो वह शुद्ध शाकाहारी बनना पसंद करेंगे। वह अब अपने आप को पहले से अधिक मजबूत महसूस करते हैं।
बता दें कि विराट कोहली ने हाल ही में वेस्टइंडीज के खिलाफ राजकोट में खेले गए पहले टेस्ट में 134 रन की शानदार पारी खेली। यह उनके टेस्ट करियर का 24वां शतक रहा और इस पारी के दौरान भारतीय कप्तान ने कई रिकॉर्ड्स ध्वस्त किए। टीम इंडिया ने राजकोट टेस्ट में विंडीज को पारी और 272 रन के अंतर से मात देकर टेस्ट इतिहास की अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज की।
अच्छे दिन आ गए,अहिंसा प्रधान व्यवस्था और शाकाहार:-
यह एक सर्वविदित गौरवपूर्ण तथ्य है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी निष्ठावान शुद्ध शाकाहारी हैं। वे मद्यपान और धूम्रपान जैसे व्यसनों से भी कोसों दूर रहते हैं। यूँ तो स्वतंत्र भारत को अनेक शाकाहारी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और प्रभावशाली नेता मिले हैं तथा भारत जैसे ऋषिप्रधान देश में ऐसा अवश्य ही होना चाहिए, लेकिन इस मामले में मोदी जी की बात उत्साहवर्द्धक और अभिनंदनीय है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि देश की जनता शाकाहारी जीवन शैली की महत्ता को समझे और शाकाहार अपनाए। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अनेक मुद्दों पर सकारात्मक एवं साहसिक निर्णय लिए हैं तथा ले रहे हैं। प्रसन्नता की बात है कि उनके निर्णयों में शाकाहार जैसा महत्वपूर्ण विषय भी समाविष्ट है। शासक द्वारा सरकारी स्तर पर शाकाहार का मुक्त समर्थन और प्रोत्साहन सार्वजनिक जीवन में अहिंसा व शुचिता का एक अहं हिस्सा है।
PRESIDENT OBAMA’S MESSAGE ON PARYUSHANA / DAS LAKSHANA (पर्युषण/दसलक्षण पर राष्ट्रपति ओबामा का संदेश):-
I extend my warm regards to all those observing Paryushan across the United States and throughout the world. Paryushan is a time for reflection, humility, and repentance. Embodying the enduring, universal truth that, in our short time on earth, each moment we have represents a chance to take care of one another and shape a better tomorrow, this sacred festival reflects the hope and compassion that bind us in our common humanity.
On this occasion, we are also reminded that the richness of our world comes from the vibrant multitudes of experiences, voices, and origins that define us—and from the ability to be true to who we are and what we believe securely, free from harm, and while knowing the fullest measure of dignity and respect.
Throughout these days, you have my best wishes for continued blessings and harmony.
( मैं संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया भर में पर्युषण का पालन करने वाले सभी लोगों को अपना हार्दिक सम्मान देता हूं। पर्युषण चिंतन, नम्रता और पश्चाताप का समय है। स्थायी, सार्वभौमिक सत्य को मूर्त रूप देते हुए, कि, पृथ्वी पर हमारे कम समय में, प्रत्येक क्षण हमारे पास एक दूसरे की देखभाल करने और एक बेहतर कल को आकार देने के अवसर का प्रतिनिधित्व करता है, यह पवित्र त्योहार उस आशा और करुणा को दर्शाता है जो हमें हमारी आम मानवता में बांधती है।
इस अवसर पर, हमें यह भी याद दिलाया जाता है कि हमारी दुनिया की समृद्धि अनुभवों, आवाजों और उत्पत्ति की जीवंत भीड़ से आती है जो हमें परिभाषित करती है – और यह सच होने की क्षमता से कि हम कौन हैं और हम सुरक्षित रूप से क्या मानते हैं, नुकसान से मुक्त , और गरिमा और सम्मान के पूर्ण माप को जानते हुए भी।
इन दिनों के दौरान, आपको निरंतर आशीर्वाद और सद्भाव के लिए मेरी शुभकामनाएं हैं। )
रात्री भोजन त्याग के के बारे मे बोले अक्षयकुमार:-
हमें दिन में ही भोजन करना चाहिये ये में नहीं बोल रहा हमारे शास्त्र बोल रहे हैं, आज के डॉक्टर्स बोल रहे हैं कि यदि आप दिन में भोजन कर लेते हो माने सूर्य के अस्त होने से पहले भोजन कर लेते हो तो कई-कई बिमारियों से बच जाते हो| रात्री में भोजन करने वालों का पूरा शरीर रात्री को सोते समय rest कर रहा होता है लेकिन उनके पेट को rest नहीं मिलता, सुबह होते-होते जब उसके rest का time आता है आप फिर breakfast करलेते हैं, पेट को फिर rest नहीं मिलता| मैं कई ऐसे लोगों को जनता हो जिन्होंने शाम को 6:30 बजे तक भोजन करना शुरू किया और उनकी life change होना शुरू हो गयी|
सूर्यास्त के बाद हमारी पाचन शक्ति मंद पड़ जाती है। इसलिए खाना सूर्यास्त से पहले खाने की परंपरा जैनोँ के अलावा हिंदुओं में भी है।
जैन,एवं हिंदु शास्त्रो मे यह भी कहा गया है कि हमारा पाचन तंत्र कमल के समान होता है। जिसकी तुलना ब्रह्म कमल से की गई है। प्राकृतिक सिद्धांत है कि सूर्य उगने के साथ कमल खिलता है। अस्त होने के साथ बंद हो जाता है। इसी तरह पाचन तंत्र भी सूर्य की रोशनी मे खुला रहता है और अस्त होने पर बंद हो जाता है। ऐसे में यदि हम भोजन ग्रहण करें तो बंद कमल के बाहर ही सारा अन्न बिखर जाता है। वह पाचन तंत्र में समा नही पाता। इसलिए शरीर को भोजन से जो ऊर्जा मिलनी चाहिए। वह नहीं मिलती और भोजन समय पर ना पचने से पेट मे सड जाता है स्वास्थ्य बिगडता है|
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी शाकाहारी हैं|:-
मुकेश अंबानी भारत , एशिया समेत पूरे विश्व के सबसे अमीर शाकाहारी व्यक्ति हैं।
मुकेश अंबानी एक सख्त शाकाहारी हैं, रिलांस की आउटलेट, कार्यालय और यहाँ तक कि उनकी हवेली ‘एंटीलिया’ में भी मांस पर बेन लगा दिया गया है| यह दुनियाँ के सबसे अमीर शाकाहारी व्यक्ति हैं और यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने अपने बेटे की शादी का प्रारंभ सर्वप्रथम जैन धर्म का सबसे पवित्र मंत्र ” णमोकार महामंत्र ” से किया था|
अमरीकन हॉलीवुड हीरो, निर्माता और निर्देशक बन गया जैन- माइकल टोबियास:-
मुंबई में पांच सितारा होटल ओबेरॉय टावर्स की किताबों की दुकान में एक आकर्षक पुस्तक आगंतुकों का विशेष ध्यान आकर्षित करती है, जिसका शीर्षक है: इंडिया ट्वेंटी फोर आवर्स। इस सचित्र पुस्तक के लेखक माइकल टोबियास हैं।
यह अमेरिकी माइकल टोबियास एक फिल्म निर्माता और निर्देशक है, लेकिन यदि आप उससे उसके पेशे के बारे में पूछेंगे, तो वह कहेगा कि अहिंसा और शाकाहार को बढ़ावा देना । उन्होंने स्वर्ग के धर्म-हिमालय, जैन धर्म की दुनिया, महावीर के प्रकाश जैसी किताबें लिखी हैं।
जब हम हॉलीवुड के बारे में सोचते हैं, तो हम रंगीन फिल्म अभिनेताओं की रंगीन जीवन शैली के बारे में सोचते हैं। लेकिन माइकल टोलायस खुद को एक जैन के रूप में पहचान देता है। हॉलीवुड जैन फिल्म निर्माता माइकल टोबियास। ” ऐसा कह सकते हैं|
वे रोज सामायिक करते हैं। खुद को जैन धर्म में परिवर्तित करने के बारे में बताते हुए, वे कहते हैं कि,
वर्षों पहले मैं जीवन के आध्यात्मिक रहस्य की खोज में भारत आया था। कई भिक्षुओं के साथ हिमालय पर गया लोटते वक़्त उन दिनों जैन धर्म के बारे में सुना।
एक दिन महाराष्ट्र में घूमते हुए, माइकल एक मंदिर में प्रवेश किया, मंदिर जैन था। मंदिर मे प्रवेश करने से पहले उनसे कहा गया कि अपनी घड़ी निकालो। यहाँ चमड़े की वस्तु पहनकर मंदिरजी मे जाना वर्जित है|
इस घटना का माइकल के दिमाग पर गहरा असर पड़ा। वह उस धर्म के बारे में जानना चाहता था कि जो धर्म जानवरों की चमड़ी से बनी चीजों को भी नहीं अपनाते वो जानवरों की भी बहुत परवाह करते है। उस दिन से, उन्होंने जानवरों की खाल का उपयोग करना बंद कर दिया। फिर उन्होंने जैन धर्म को इतना पसंद किया कि उन्होंने अपनी पत्नी का नाम ‘ जैन’ रखा।
एक ईसाई के रूप में जन्मे, माइकल टोलायस अब कही भी चर्च में नहीं जाते। वह कहते हैं: ‘ मैं एक जैन हूं। मैंने पाँच व्रतों को अपनाया है – अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह।‘
एक जैन बनकर, माइकल ने अहिंसा और शाकाहार को बढ़ावा देने का फैसला किया। उनका दावा है कि पॉप गायक मैडोना ने भी शाकाहारी भोजन अपनाया था|
माइकल अमेरिकी समाज में प्रचलित हिंसा से चिंतित थे माइकल टीवी और फिल्मों के माध्यम से हिंसा का विरोध करने की वकालत करते हैं। उन्होंने कई अमेरिकियों को शाकाहारी बनाया है|
ऋषभदेव जैनधर्म के प्रवर्तक थे ।—डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन्
भारतीय साहित्य में अनेक प्रमाण उपलब्ध हैं जो बताते हैं कि बहुत पहले से ही, प्रथम शताब्दी (ईसा पूर्व) से ही ऐसे लोग थे जो ऋषभदेव प्रथम तीर्थंकर की उपासना करते थे। इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं कि वर्द्धमान अथवा पार्श्वनाथ के पूर्व से ही जैनधर्म प्रचलित था ।यजुर्वेद में ऋषभ, अजितनाथ एवं अरिष्टनेमि तीन तीर्थंकरों के नाम उल्लिखित हैं ।भागवत् पुराण इस विचार का समर्थन करता है कि ऋषभदेव जैनधर्म के प्रवर्तक थे ।