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भक्तामर व्रत विधि !! Bhaktamar vrat vidhi !!

भक्तामर व्रत विधि !! Bhaktamar vrat vidhi !! विधि-जैन समाज में भक्तामर स्तोत्र सबसे अधिक प्रसिद्धि को प्राप्त है। इसकी महिमा के विषय में सभी लोग जानते हैं कि श्री मानतुंगमहामुनि ने इस स्तोत्र की रचना की है, एक-एक काव्य के प्रभाव से एक-एक ऐसे अड़तालीस ताले टूट गये हैंं और अतिशय चमत्कार हुआ है।

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लघु सुखसम्पत्ति व्रत विधि !! Laghu sukhasampatti vrat vidhi !!

लघु सुखसम्पत्ति व्रत विधि !! Laghu sukhasampatti vrat vidhi !! इस व्रत में १२० उपवास किये जाते हैं। प्रतिपदा का एक, दो द्वितीयाओं के दो, तीन तृतीयाओं के तीन, चार चतुर्थियों के चार, पाँच पंचमियों के पाँच, छ: षष्ठियों के छ:, सात सप्तमियों के सात, आठ अष्टमियों के आठ, नौ नवमियों के नौ, दश दशमियों

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लब्धि विधान व्रत कथा एवं व्रत विधि !! Labdhi vidhan vrat katha evam vrat vidhi !!

लब्धि विधान व्रत कथा एवं व्रत विधि !! Labdhi vidhan vrat katha evam vrat vidhi !! भाद्रपद, माघ और चैत्र मास में शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से लेकर तृतीया तक तीन दिन पर्यन्त लब्धि विधान व्रत किया जाता है। तिथि हानि होने पर एक दिन पहले से व्रत करना होता है और तिथि वृद्धि होने पर

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श्रावक त्रेपनक्रिया व्रत विधि !! Shravak trepankriya vrat vidhi !!

श्रावक त्रेपनक्रिया व्रत विधि !! Shravak trepankriya vrat vidhi !! श्रावकों के लिए त्रेपन क्रियाओं का रयणसार आदि ग्रंथों में विधान है। इनके व्रत की विधि व्रत तिथि निर्णय में कही गई है। इसमें ८ मूलगुण, १ रात्रिभोजन त्याग, १ जलगालन, १ साम्यभाव, ५ अणुव्रत, ३ गुणव्रत, ४ शिक्षाव्रत, ४ दान, ११ प्रतिमा, १२ तप

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लोकमंगल व्रत विधि !! Lokamangal vrat vidhi !!

लोकमंगल व्रत विधि !! Lokamangal vrat vidhi !! (जैनेन्द्र व्रत कथा संग्रह मराठी पुस्तक के आधार से) आषाढ़ शुक्ला चतुर्थी के दिन उपवास करके यह व्रत किया जाता है। पुन: श्रावण कृ. ४, श्रावण शु. ४, भाद्रपद कृ. ४, भाद्रपद शु. ४, आश्विन कृ. ४, आश्विन शु. ४, कार्तिक कृ. ४ और कार्तिक शु. ४,

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तीर्थंकर पंचकल्याणक तिथि व्रत विधि !! Tirthankar panchakalyanak tithi vrat vidhi !!

तीर्थंकर पंचकल्याणक तिथि व्रत विधि !! Tirthankar panchakalyanak tithi vrat vidhi !!   विधि- यह पंचकल्याणक व्रत एक वर्ष में करने से ९१ तिथियों में पूर्ण होगा एवं पाँच वर्ष में करने से प्रत्येक वर्ष में क्रम से गर्भकल्याणक की चौबीस तिथियाँ, जन्मकल्याणक की चौबीस तिथियाँ, दीक्षाकल्याणक की चौबीस तिथियाँ, केवलज्ञानकल्याणक की चौबीस तिथियाँ और

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रक्षाबंधन व्रत विधि !! Rakshabandhan vrat vidhi !!

रक्षाबंधन व्रत विधि !! Rakshabandhan vrat vidhi !! हस्तिनापुर में आज से लगभग १२ लाख वर्ष पूर्व श्री अकंपनाचार्य आदि सात सौ मुनियों का उपसर्ग दूर हुआ था। श्री विष्णुकुमार महामुनि ने विक्रियाऋद्धि के प्रभाव से उज्जयिनी से आकर बलि आदि मंत्रियों के द्वारा किये गये उपसर्ग को दूर कर मुनियों की रक्षा की थी,

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जम्बूद्वीप व्रत विधि !! Jambudvipa vrat vidhi !!

जम्बूद्वीप व्रत विधि !! Jambudvipa vrat vidhi !! जम्बूद्वीप के सुदर्शमेरु के १६ जिनमंदिर, गजदंत के ४, जंबू शाल्मली वृक्ष के २, सोलहवक्षार पर्वत के १६, चौंतीस विजयार्ध पर्वत के ३४ और छह कुलाचल के ६ ऐसे १६±४±२±१६±३४±६·७८ अठत्तर अकृत्रिम जिनमंदिर हैं। इनको लक्ष्य करके ७८ उपवास करना उत्तम है, अल्पाहार करना मध्यम है और

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चौबीस तीर्थंकर गणधर व्रत विधि !! Chobis tirthankar gandhar vrat vidhi !!

चौबीस तीर्थंकर गणधर व्रत विधि !! Chobis tirthankar gandhar vrat vidhi !! चौबीस तीर्थंकरों के चौदह सौ उनसठ गणधर हैं। अन्य ग्रंथों में चौदह सौ बावन माने हैं। इन चौबीसों तीर्थंकरों के एक-एक प्रमुख गणधरों के नाम प्रसिद्ध हैं। उनके ये २४ व्रत हैं। इन व्रतों के प्रभाव से अंतरंग ऋद्धियाँ एवं बहिरंग ऋद्धि-सुख-संपत्ति-सन्तति आदि

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