bhavlingisant.com

Jain Article

जैन साधू नग्न (दिगम्बर) क्यों रहते हैं? Why do Jain monks remain naked (Digambara)?

जैन साधू नग्न (दिगम्बर) क्यों रहते हैं? “मनुष्य मात्र की आदर्श स्थिति दिगम्बर ही है। आदर्श मनुष्य सर्वथा निर्दोष होता है-विकारशून्य होता है।” – महात्मा गाँधी “प्रकृति की पुकार पर जो लोग ध्यान नहीं देते, उन्हें तरह-तरह के रोग और दुख घेर लेते है, परन्तु पवित्र प्राकृतिक जीवन बिताने वाले जगल के प्राणी रोगमुक्त रहते है

Read More »

इस्लाम धर्म और दिगम्बर जैन मुनि !! Islam religion and Digambar Jain monk

इस्लाम धर्म और दिगम्बर जैन मुनि —————————————————————– इस्लाम धर्म में भी दिगम्बर जैन मुनियों को यथोचित् सम्मान दिया गया है तथा यथायोग्य रीति से उनके क्वचित् सिद्धांतों को अंगीकार कर दृढ़ता से उसका प्रचार किया है। यथा- इस्लाम धर्म से संबंधित एक शायर जलालुद्दीन ने दिगम्बरत्व को दिव्य ज्योति से अलंकृत बताते हुए वस्त्रधारी को

Read More »

इसाई मज़हब और दिगम्बर साधु !! Christianity and Digambara Sadhu

इसाई मज़हब और दिगम्बर साधु ————————————————————- “And he stripped his eclothes also, and prophesied before Samuel in like manner, and lay down naked all that day and all that night. Wherefore they said, is Saul also among the Prophets?” -Samuel XIX, 24 “At the same time spoke the Lord, by Isaiah the son of Amoz,

Read More »

श्वेताम्बर साहित्य में दिगम्बर जैन मुनि !! Digambar Jain sage in Shwetambar literature

श्वेताम्बर साहित्य में दिगम्बर जैन मुनि ———————————————————————- श्वेताम्बर साहित्य कल्पसूत्र इस बात को प्रगट करते हैं कि दिगम्बर (नग्न) धर्म का पालन प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव ने किया था, तथा वे स्वयं दिगम्बर थे। {‘कल्पसूत्र’ – J.S. P.L. 1. P.285A} तथा आचारांग सूत्र में कहा है- “Those are called naked, who in this world, never returning (to

Read More »

बौद्ध साहित्य में दिगम्बर जैन मुनि !! Digambar Jain sage in Buddhist literature

बौद्ध साहित्य में दिगम्बर जैन मुनि ——————————————————– बौद्ध साहित्य में दिगम्बर मुनियों का वर्णन अनेकों स्थानों में मिलता है यथा “पाटिक पुत्र अचेलो” अर्थात् पाटिक पुत्र नामक साधु वत्र रहित अचेलक अर्थात् दिगम्बर जैन मुनि थे। चीनी त्रिपिटक नामक ग्रंथ में भी ‘अचेलक’ शब्द से दिगम्बर जैन मुनि/साधु ही उद्घोषित किया है। बौद्ध टीकाकार बुद्ध घोष भी- अचेलक शब्द

Read More »

महात्मा बुद्ध पूर्व में दिगम्बर मुनि थे !! Mahatma Buddha was formerly Digambar Muni

महात्मा बुद्ध पूर्व में दिगम्बर मुनि थे ——————————————————————— भगवान महावीर स्वामी के समकालीन मगध के कपिलवस्तु नरेश शुद्धोधन का पुत्र गौतमबुद्ध नामक राजकुमार हुआ। जिसने वैदिक पशु यज्ञ के विरुद्ध अहिंसा के प्रचार की भावना से संसार से विरक्त होकर राजपाठ एवं लघु पुत्र तथा पत्नी का त्याग कर पलाश नगर में भगवान पार्श्वनाथ की

Read More »

वैदिक साहित्य में जैन-संस्कृति !! Jain culture in Vedic literature !!

वैदिक साहित्य में जैन-संस्कृति ———————————————————————————————————————— वैदिक साहित्य वेद, पुराण और स्मृतियों में जैन तीर्थंकरों के सन्दर्भ में विपुल सामग्री उपलब्ध है। उसमें से कुछेक तथ्यों का केवल जैन धर्म की प्राचीनता दिखाने के लिए यहाँ संकलन किया गया है। ऋग्वेद में ऋषभदेव को ज्ञान का भण्डार और कर्म शत्रुओं का विध्वंसक बताते हुए लिखा है-

Read More »

Debate on Syadvada | स्यादवाद दोष परिहार

Debate on Syadvada | स्यादवाद दोष परिहार स्याद्गाद का क्‍या अर्थ है व उसका दर्शन के क्षेत्र में कितना महत्त्व है, यह दर्शाने के लिये इस पर आने वाले कुछ आरोपों का निराकरण (Debate on Syadvada) करना चाहते हैं। स्याद्वाद के वास्तविक अर्थ से अपरिचित बड़े-बड़े दार्शनिक भी मिथ्या आरोप लगाने से नहीं चूकते है।

Read More »

श्रावक की षट् आवश्यक क्रियायें !! Six essential activities of a Shravak!!

श्रावक की षट् आवश्यक क्रियायें !! Six essential activities of a Shravak!! ‘देव-पूजा, गुरु-पास्ति:, स्वाध्याय: संयमस्तप:। दानं चेति गृहस्थानां, षट्-कर्माणि दिने दिने।।’’ देव-पूजा, गुरु-उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप और दान गृहस्थों के प्रतिदिन के छ: कार्य हैं अर्थात् गृहस्थों को इन छ: कार्यों को प्रतिदिन अवश्य करना चाहिए। जो पुरुष देवपूजा, गुरु की उपासना, स्वाध्याय, संयम,

Read More »
Scroll to Top