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युवकों ने ली गुरुदेव की परीक्षा !! The youth took Gurudev’s Pariksha.

युवकों ने ली गुरुदेव की परीक्षा ———————————————————————– गुरुवर जिस कक्ष में बसते थे उसके आगे भी एक कक्ष था। एक दिन कुछ युवकों ने गुरुवर से आगे के कक्ष में रात्रि विश्राम करने का अनुरोध किया। सरल स्वभावी गुरुवर उनका उद्देश्य नहीं समझ पाए फिर भी उन्होंने रुकने की स्वीकृति दे दी।       

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विकलांग सम्यग्दर्शन !! Vikalanga Samyagdarshan

विकलांग सम्यग्दर्शन —————————————————— प्रसंग पटनाबुजुर्ग का है,  गुरुवर जब दोपहर में छहढाला ग्रंथ पढ़ाते और समझाते थे जिसे भक्तगण तो सुनते ही थे, समीप ही स्थित स्कूल में बैठे लोग भी सुनते थे। उस स्कूल में एक शिक्षक जैन था, जो मुनि विरोधी था, पर आगम का किंचित अध्ययन भी था, अतः वह गुरुवर के

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एक ऐसा उदाहरण आत्म विशुद्धि का!! One such example of self purification!!

एक ऐसा उदाहरण आत्म विशुद्धि का ————————————————————————————- एकदिन एक गुरुभक्त परिवार गुरुवर को पड़गाहने में सफल हो गया। गुरुवर श्रावक श्रेष्ठी के द्वार पहुँचे लकिन मन अंदर प्रवेश को नहीं हुआ। अन्य खड़े श्रावकों ने भी निवेदन किया किन्तु गुरुवर आत्मा की आवाज पर वहाँ से लौटकर अन्य चौके में चले गए। और जब आहारकर

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सधर्मी वात्सल्य का अनुपम उदाहरण !! A unique example of religious love.

सधर्मी वात्सल्य का अनुपम उदाहरण ————————————————————————- साधु-संतों के हृदय जितने विशाल होते हैं उतने भक्तों के भी बनें, धर्म यही सिखलाता है, किन्तु कभी-कभी मन की ऊँचाईयों को समूह की कुटिलता कुचल देती है। प्रसंग गुरुदेव की मुनि अवस्था का है, पर शिक्षाप्रद है- हुआ यह कि बालाचार्य बाहुबलीसागर जी मोराजी में थे, उन्हें कुछ

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केक असली नहीं है !! The Cake Is Not Real.

केक असली नहीं है ——————————————– प्रसंग गुरुदेव की जन्म जयंती का है, अंकुर कॉलोनी, सागर- कॉलोनी में स्थित मुनिवर की वसतिका को महरौनी और भिण्ड से आए भक्तों ने एक दिन पूर्व ही सजा दिया था, जिसमें गुब्बारे, थर्माकोल का केक आदि सजाकर रखे थे। जब मुनिवर दोपहर में आहारचर्या से लौटे और कक्ष की

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उपदेश ने बदला शादी-कार्ड!! Upadesh changed the wedding card!!

उपदेश ने बदला शादी-कार्ड ——————————————————- प्रसंग 2001 महारोनी चातुर्मास का है, प. पूज्य गुरुदेव तब मुनि अवस्था में थे, मुनिश्री ने नित्य की तरह अत्यंत महत्वपूर्ण धर्मोपदेश दिया जिसका मुख्य उद्देश्य था- दिन में शादी, दिन में भोज। मात-पिता की, सेवा रोज ।। मुनिवर की वाणी ने ऐसा चमत्कार किया कि हर श्रोता संकल्प लेने

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जीवन है पानी की बूँद का उद्भव !! Origin of the Jivan Hai Paani Ki Boond.

जीवन है पानी की बूँद का उद्भव !! ————————————————————————– बात इसी भिण्ड चातुर्मास की है- सूरज गुनगुनी धूप लेकर क्षितिज पर चमकने लगा। परमपूज्य गुरुदेव आचार्यश्री विरागसागरजी महाराज अपने विशाल संघ के साथ प्रभातकालीन आवश्यक भक्ति क्रिया से निवृत्त हो चुके थे। प्रतिदिन की भाँति परमपूज्य गुरुदेव अपने विशाल संघ के साथ नित्य क्रिया हेतु

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‘गुजिया पार्टी’ !! ‘Gujiya Party’

‘गुजिया पार्टी’ ———————————– राकेश भैया जब टीकमगढ़ में बी.एससी. कर रहे थे, तब वहाँ की हिमांचल गली में एक कमरा किराए से ले रखा था। कुछ दूरी पर लोकेश थे, वहाँ और भी मित्र बन गए। कमलेश बसंत, पवन, श्रोत्रिय, निरंजन, पदम, संतोष आदि। एक दिन शाम को सभी मित्रों ने ‘गुजिया पार्टी’ का मन

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त्याग की अनुमोदना की !! Tyag ki anumodana

त्याग की अनुमोदना की —————————————————— राकेश भैया उस समय 17 वर्ष के थे, एक मुनिराज श्री श्रुतसागर जी का नगर में आगमन हुआ, काफी वृद्ध थे, जतारा में साधु-संत कम ही आते थे अतः समाज में उत्साह बढ़ गया। राकेश उनकी आहारचर्या के समय जाते थे और दर्शन कर लौट आते थे। एक बार ऐलक

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