उपदेश ने बदला शादी-कार्ड
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प्रसंग 2001 महारोनी चातुर्मास का है, प. पूज्य गुरुदेव तब मुनि अवस्था में थे, मुनिश्री ने नित्य की तरह अत्यंत महत्वपूर्ण धर्मोपदेश दिया जिसका मुख्य उद्देश्य था-
दिन में शादी, दिन में भोज।
मात-पिता की, सेवा रोज ।।
मुनिवर की वाणी ने ऐसा चमत्कार किया कि हर श्रोता संकल्प लेने बाध्य हो गया। इस अवसर पर श्री केवलचंद जैन (भैयाजी परिवार) में शादी के कार्ड छापे जा चुके थे, किंतु जब मुनिवर का प्रवचन सुना तो वे तुरंत प्रेस की ओर गए और कार्ड पर एक पंक्ति और मुद्रित कराई ‘पूज्य मुनि 108 श्री विमर्शसागर जी महाराज के उपदेशानुसार सभी वैवाहिक कार्यक्रम दिन में सम्पन्न होंगे’। उनके इस श्रेष्ठ परिवर्तन ने सारे गाँव में परिवर्तन की लहर को दिशा दी और मुनिवर के संकेतानुसार सभी भक्तों ने दृढ़तापूर्वक दिन में कार्यक्रम करने का संकल्प लिया।