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Author name: Amritesh

आचार्य श्री सन्मति सागर जी

गुरुदेव श्री १०८ आचार्य सन्मतिसागर महाराज का जन्म माघ शुक्ल 7 सन् 1938 में फफोतु,जिला एटा(उ.प्र.)में हुआ। आपने आचार्य १०८ महावीर कीर्ति जी महाराज से 18 साल की आयु में ब्रहमचर्य व्रत लिया। एवं सन 1961 में (मेंरठ ) में आचार्य विमलसागर महाराज से क्षुल्लक दीक्षा प्राप्त की। सन 1962(कार्तिक शुक्ला 12,सम्मेद शिखर) में आपको […]

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आचार्य श्री विराग सागर जी

भारत वर्ष की पावन भूमि सदैव नर रत्नों की जन्म दात्री रही है,जहाँ पर तीर्थंकरों ,यतिवरो तथा महापुरुषों ने जन्म लेकर पुरुषार्थ द्वारा ,त्याग ,तपस्या के माध्यम से अपना आत्म कल्याण किया।इस श्रंखला में आचार्य श्री विराग सागर जी ने जन्म लेकर इस वसुंधरा को गोरवान्वित किया।मध्य क्षेत्र के पथरिया दमोह जिला ,म.प्र. नगर में

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Pdyanuvad (By-Gurudev)

Padyanuvad भक्तामर स्त्रोत (पद्यानुवाद 1)  भक्तामर स्तोत्र (पद्यानुवाद -2 ) कल्याण मंदिर स्त्रोत्र (पद्यानुवाद) महावीराष्टक स्तोत्र (पद्यानुवाद) लघु स्वंयभू स्तोत्र (पद्यानुवाद)  गोम्मटेस स्तुति (पद्यानुवाद)  परमानंद स्तोत्र (पद्यानुवाद) एकीभाव स्तोत्र (पद्यानुवाद) विषापाहर स्तोत्र (पद्यानुवाद) श्री पञ्च महागुरु भक्ति (पद्यानुवाद) सामायिक पाठ (पद्यानुवाद) सुप्रभात स्तोत्र (पद्यानुवाद श्री गणधरवलय स्तोत्र (पद्यानुवाद)

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  : सुप्रभातं :  ,  शांतिनाथ कीर्तन   ,  चौबीस तीर्थंकर स्तुति  ,  श्री पंच परमेष्ठी ( आरती )  ,   आ. श्री विराग सागर ( आरती )   ,   विमर्श लिपि (Book)  ,  सरूव थुदि (स्वरुप स्तुति)  ,   श्री गणधर स्वामी (चालीसा)  ,   जिनवाणी स्तुति  ,  बारह भावना

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