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Author name: Amritesh

रत्नत्रय व्रत एवं विधि !! Ratnatraya Vrat Evam Vidhi !!

रत्नत्रय व्रत एवं विधि !! Ratnatraya Vrat Evam Vidhi !! रत्नत्रय व्रत विधि रत्नत्रयं तु भाद्रपदचैत्रमाघशुक्लपक्षे च द्वादश्यां धारणं चैकभक्तं च त्रयोदश्यादिपूर्णिमान्तमष्टमं कार्यम्, तदभावे यथाशक्ति काञ्जिकादिकं, दिनवृद्धौ, तदधिकतया कार्यम्, दिनहानौ तु पूर्वदिनमारभ्य तदन्तं कार्यमिति पूर्वक्रमो ज्ञेय:। अर्थ- रत्नत्रय व्रत भाद्रपद, चैत्र और माघ मास में किया जाता है। इन महीनों के शुक्लपक्ष में द्वादशी तिथि […]

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सुगंधदशमी व्रत कथा एवं विधि !! Sugandhdashami Vrat katha evam vidhi !!

सुगंधदशमी व्रत कथा एवं विधि !! Sugandhdashami Vrat katha evam vidhi !! सुगंधदशमी व्रत /कथा जम्बूद्वीप के विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में शिवमंदिर नाम का एक नगर है। वहाँ का राजा प्रियंकर और रानी मनोरमा थी सो वे अपने धन, यौवन आदि के ऐश्वर्य में मदोन्मत्त हुए जीवन के दिन पूरे करते थे। धर्म किसे

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विषापहार व्रत विधि !! Vishhapahar vrat vidhi !!

विषापहार व्रत विधि !! Vishhapahar vrat vidhi !! विषापहार व्रत विधि विषापहार स्तोत्र श्री ऋषभदेव स्तोत्र है। यह श्री धनंजय कवि की रचना है। इस स्तोत्र के रचते ही उनके पुत्र का सर्पविष उतर गया था। इसलिए विषापहार यह इसका सार्थक नाम है। इसमें ४० व्रत किए जाते हैं भक्तामर के समान इन व्रतों को

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नवलब्धि व्रत विधि !! Navlabdhi Vrat Vidhi !!

नवलब्धि व्रत विधि !! Navlabdhi Vrat Vidhi !! नवलब्धि व्रत (नवकेवललब्धि व्रत) तीर्थंकर भगवन्तों को जब केवलज्ञान प्रगट हो जाता है तब अर्हंत अवस्था में उन्हें नव केवललब्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं। दर्शनमोहनीय के अभाव से क्षायिकसम्यक्त्वलब्धि, चारित्रमोहनीय के अभाव से क्षायिकचारित्रलब्धि, ज्ञानावरणकर्म के नाश से केवलज्ञानलब्धि, दर्शनावरण के क्षय से केवलदर्शनलब्धि, अंतरायकर्म के पाँच

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पुण्यास्रव व्रत विधि !! Punyasrav vrat vidhi !!

पुण्यास्रव व्रत विधि !! Punyasrav vrat vidhi !! पुण्यास्रव व्रत विधि संसार में प्रत्येक अच्छे या बुरे कार्यों को करने में सर्वप्रथम संरंभ, समारंभ और आरंभ क्रियायें होती हैं। मन, वचन और काय से प्रवृत्ति होती है जो कि कृत, कारित और अनुमोदना रूप से ही होती है। प्रत्येक के साथ क्रोध, मान, माया और

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मौन एकादशी व्रत विधि !! Maun ekaadashee vrat vidhi !!

मौन एकादशी व्रत विधि !! Maun ekaadashee vrat vidhi !! मौन एकादशी व्रत जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में कौशल्य देश है। उसमें यमुना नदी के तट पर कौशाम्बी नाम की नगरी है, उसी नगर में परमपूज्य छठवें तीर्थंकर श्री पद्मप्रभु का जन्म हुआ था। एक समय इसी नगर में हरिवाहन नाम का राजा और उसकी शशिप्रभा

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तत्वार्थसूत्र व्रत विधि !! Tatvarthasutra vrat vidhi !!

तत्वार्थसूत्र व्रत विधि !! Tatvarthasutra vrat vidhi !! तत्वार्थसूत्र व्रत विधि तत्वार्थसूत्र ग्रंथ जिसका दूसरा नाम मोक्षशास्त्र भी है, इसमें दश अध्याय हैं। दिगम्बर जैन परंपरा में संस्कृत भाषा में यह पहला सूत्रग्रंथ है। एक-एक अध्याय को आश्रित करके इसके १० व्रत किये जाते हैं। व्रत में भगवान का पंचामृत अभिषेक करके पूजन करें। सरस्वती

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समवसरण व्रत विधि !! Samavasaran vrat vidhi !!

समवसरण व्रत विधि !! Samavasaran vrat vidhi !! समवसरण व्रत विधि(वृहत् समवसरण व्रत १७० हैं) ढाई द्वीप में १७० कर्मभूमियों में यदि एक साथ अधिकतम तीर्थंकर होवें तो १७० हो सकते हैं। एक साथ नहीं भी हों तो भी इन १७० कर्मभूमियों में तीर्थंकर होते रहते हैं। उन १७० कर्मभूमियों के तीर्थंकरों के १७० व्रत

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कल्याण मंदिर व्रत विधि !! Kalyan mandir vrat vidhi !!

कल्याण मंदिर व्रत विधि !! Kalyan mandir vrat vidhi !! कल्याण मंदिर व्रत विधि कल्याण मंदिर स्तोत्र भगवान पार्श्वनाथ का स्तोत्र है। इसमें भी आदि में कल्याणमंदिरमुदारमवद्य ‘कल्याण मंदिर’ पद आ जाने से इसका कल्याणमंदिर स्तोत्र यह सार्थक नाम हो गया है। इसमें ४४ काव्य हैं अत: ४४ व्रत किये जाते हैं। व्रत के दिन श्री पार्श्वनाथ

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ज्ञान पचीसी व्रत विधि !! Gyan pachisi vrat vidhi !!

ज्ञान पचीसी व्रत विधि !! Gyan pachisi vrat vidhi !! ज्ञान पचीसी व्रत विधि ज्ञान पचीसी व्रत में ग्यारस के ग्यारह उपवास और चौदश के चौदह उपवास ऐसे कुल पचीस व्रत होते हैं। यह व्रत ग्यारह अंग और चौदह पूर्वरूप ज्ञान की आराधना के लिए किया जाता है। इसको श्रावण सुदी चतुर्दशी से करने का

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