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एकाशन से डरने वाला उपवासों का राजा बना !! The one who was once afraid of giving up food became the king of fasts.

एकाशन से डरने वाला उपवासों का राजा बना! ————————————————————————————————— पर्युषण पर्व के अवसर पर दादीजी ने राकेश (गृहस्थावस्था का नाम) से कहा- ‘बेटा व्रतों में उपवास न सही, तो एकासन जरूर करो।’ राकेश ने बात मान ली और सुगंध-दशमी के दिन एकाशन किया, मगर शाम को भूख लग आई। किसी से कह न सका और

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पिल्लों के लिए घर !! house for puppies

पिल्लों के लिए घर ———————————- कुत्ते के छोटे-छोटे बच्चे कूँ-कूँ करते बल्लु की तरफ दौड़ आते तब वे उन्हें भगाते नहीं थे। समझ जाते थे कि इन्हें ठंड लग रही है। अतः उन्हें पानी और ठंडी हवा से बचाने के लिए गीली बालू और टाटपट्टी के सहयोग से छोटे-छोटे घरघूले बना देते थे और उसमें

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मंदिल क्यों जाते हैं? !! Why go to temple?

मंदिल क्यों जाते हैं? —————————————— प्रसंग तब का है जब, गोरे चिट्टे बल्लु भैया (प. पूज्य गुरुदेव) चार वर्ष के हो गए। कभी दादी के साथ तो कभी मम्मी के साथ मंदिर जाने आने लगे। एक मायने में घर की दो सदस्याएँ उनमें संस्कारों का वपन कर रही थीं। एक दिन बल्लु भैया अकेले ही

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एक छिद्रान्वेषी ऐसा भी! such a hole hunter too!

एक छिद्रान्वेषी ऐसा भी! ———————————————– बल्लु (प. पूज्य गुरुदेव के बचपन का नाम) के तीन वर्ष की उम्र का प्रसंग है, वे माँ के साथ नानाजी के घर गए थे। नानाजी श्री रामप्रसाद जैन किराने के व्यापारी थे। साथ ही वैद्यगिरी भी करते थे। सर्दी, जुखाम के अवसर पर रोगियों को इंजेक्शन भी लगा देते

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