
मुक्तावली व्रत विधि !! Muktavali vrat vidhi !!
मुक्तावली व्रत विधि !! Muktavali vrat vidhi !! मुक्तावली व्रत मुक्तावली व्रत दो प्रकार का होता है-लघु और बृहत्। लघु व्रत में नौ वर्ष तक प्रतिवर्ष ९-९ उपवास करने होते हैं। पहला उपवास भाद्रपद शुक्ला सप्तमी को, दूसरा आश्विन कृष्णा षष्ठी को, तीसरा आश्विन कृष्णा त्रयोदशी को, चौथा आश्विन शुक्ला एकादशी को, पाँचवाँ कार्तिक

ज्येष्ठ जिनवर व्रत विधि !! Jyeshtha jinavar vrat vidhi !!
ज्येष्ठ जिनवर व्रत विधि !! Jyeshtha jinavar vrat vidhi !! ज्येष्ठ जिनवर व्रत ज्येष्ठकृष्ण पक्षे प्रतिपदि ज्येष्ठशुक्ले प्रतिपदि चोपवास:, आषाढ़कृष्णस्य प्रतिपति चोपवास:, एवमुपवासत्रयं करणीयम्, ज्येष्ठमासस्यावशेषदिवसेष्वेकाशनं करणीयम्, एतद्व्रतं ज्येष्ठजिनवरव्रतं भवति। ज्येष्ठप्रति-पदामारभ्याषाढकृष्णाप्रतिपत् पर्यन्तं भवति। अर्थ- ज्येष्ठ कृष्णा प्रतिपदा, ज्येष्ठशुक्ला प्रतिपदा और आषाढ़ शुक्ला प्रतिपदा, इन तीनों तिथियों में तीन उपवास करने चाहिए। ज्येष्ठ मास के शेष दिनों

श्रवण द्वादशी व्रत विधि !! Shravan dvadashi vrat vidhi !!
श्रवण द्वादशी व्रत विधि !! Shravan dvadashi vrat vidhi !! श्रवण द्वादशी व्रत श्रवणद्वादशीव्रतस्तु भाद्रपदशुक्लद्वादश्यां तिथौ क्रियते। अस्य व्रतस्यावधि: द्वादशवर्षपर्यन्तमस्ति। उद्यापनान्तरं व्रतसमाप्तिर्भवति। अर्थ- श्रवणद्वादशी व्रत भाद्रपद शुक्ला द्वादशी को किया जाता है। यह व्रत बारह वर्ष तक करना पड़ता है। उद्यापन करने के उपरान्त व्रत की समाप्ति की जाती है। विवेचन- श्रवण द्वादशी व्रत के दिन

श्री त्रिलोक तीज व्रत कथा एवं व्रत विधि !! Shri triloka tij vrat katha evam vrat vidhi !!
श्री त्रिलोक तीज व्रत कथा एवं व्रत विधि !! Shri triloka tij vrat katha evam vrat vidhi !! श्री त्रिलोक तीज व्रत वन्दों श्री जिनदेव पद, वन्दूं गुरु चरणार। वन्दूँ माता सरस्वती, कथा कहूँ हितकार।। जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र संबंधी कुरुजांगल देश में हस्तिनापुर नामक एक अति रमणीक नगर है। वहाँ का राजा कामदुक और रानी

सम्मेदशिखर व्रत विधि !! Sammeda shikhar vrat vidhi !!
सम्मेदशिखर व्रत विधि !! Sammeda shikhar vrat vidhi !! सम्मेदशिखर व्रत विधि सम्मेदशिखर सिद्धक्षेत्र शाश्वत तीर्थ है। यहाँ से हमेशा चतुर्थकाल में तीर्थंकर भगवान एवं असंख्यातों मुनिगण मोक्ष प्राप्त करते रहे हैं और आगे भी मोक्ष प्राप्त करते रहेंगे। इस सिद्धक्षेत्र के २५ व्रत हैं। इस बार चतुर्थकाल में हुण्डावसर्पिणी के निमित्त से सम्मेदशिखर पर्वत

वृहत्पल्य व्रत विधि !! Vrhatpalya vrat vidhi !!
वृहत्पल्य व्रत विधि !! Vrhatpalya vrat vidhi !! वृहत्पल्य व्रत विधि जिस किसी ने मनुष्य जन्म प्राप्त करके यदि पल्य विधान नाम का व्रत किया है, वह भव्य है, यह बात निश्चित है। यह व्रत श्रवण मात्र से ही असंख्यात भवों के पापों का नाश कर देता है और तत्काल ही स्वर्गमोक्ष को भी देने

सिंह निष्क्रीडित व्रत विधि !! Sinha nishkridit vrat vidhi !!
सिंह निष्क्रीडित व्रत विधि !! Sinha nishkridit vrat vidhi !! सिंह निष्क्रीडित व्रत सिंह निष्क्रीड़ित विधि-सिंह निष्क्रीडित व्रत जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट के भेद से तीन प्रकार है। इनमें से प्रथम ही जघन्य व्रत की विधि को बतलाते है- जघन्य सिंह निष्क्रीडित व्रत विधि-इसमें पहले एक उपवास एक पारणा और दो उपवास एक पारणा करना

चौंसठ ऋद्धि व्रत विधि !! Chonsatha riddhi vrat vidhi !!
चौंसठ ऋद्धि व्रत विधि !! Chonsatha riddhi vrat vidhi !! चौंसठ ऋद्धि व्रत विधि चोसठ ऋद्धि मंत्र की अपेक्षा चौंसठ व्रत करना चाहिए। व्रत के दिन उपवास करना उत्तम, अल्पाहार फल, दूध, मेवा या जल आदि लेना मध्यम और एक बार शुद्ध भोजन करना जघन्य विधि है। प्रत्येक माह में अष्टमी, चतुर्दशी आदि किसी भी

मनोकामना सिद्धि महावीर व्रत विधि !! Manokamana siddhi mahaveer vrat vidhi !!
मनोकामना सिद्धि महावीर व्रत विधि !! Manokamana siddhi mahaveer vrat vidhi !! मनोकामना सिद्धि महावीर व्रत एवं मंत्र व्रत विधि— जैनशासन में पर्वों की भांति ही अनादिकाल से व्रतों की परम्परा भी चली आ रही है जिनमें दो प्रकार के व्रत प्रचलित हैं-१. सोलहकारण, दशलक्षण, पंचमेरु, आष्टान्हिका, रत्नत्रय आदि पर्वों में किये जाने वाले व्रत