
णमोकार व्रत विधि !! Namokar vrat vidhi !!
णमोकार व्रत विधि !! Namokar vrat vidhi !! नमस्कारपञ्चत्रिंशत्कायां सप्तम्यां सप्त पञ्चम्या: पञ्चचतुर्दश्याश्चतुर्दश नवम्या: नवोपवासा: कथिता:। एतन्नमोकारपञ्चत्रिंशत्कमेतदक्षरसमुदायं विभज्यैकेकाक्षरस्योपवास: करणीय:। अस्मिन् व्रते न मासतिथ्यादिको नियम:, केवलां तिथिं प्रपद्य भवतीति तिथिसावधिकानि व्रतानि। अर्थ- नमस्कारपञ्चत्रिंशत्-नमस्कार पैंतीसी व्रत में सप्तमी के सात उपवास, पंचमी के पाँच उपवास, चतुर्दशी के चौदह उपवास और नवमी के नौ उपवास बताये गये हैं।

कनकावली व्रत विधि !! Kanakavali vrat vidhi !!
कनकावली व्रत विधि !! Kanakavali vrat vidhi !! कनकावली व्रत भगवान नेमिनाथ ने तीर्थंकर से तृतीय भवपूर्व ‘सुप्रतिष्ठ’ मुनिराज की अवस्था में इन कनकावली आदि व्रतों का अनुष्ठान किया था। वैसे ही भगवान महावीर के जीव ने ‘नंदन मुनिराज’ के भव में इन्हीं व्रतों का अनुष्ठान किया था। कनकावली व्रत विधि- कनकावली व्रत में ४३४

सम्यक्त्व पचीसी व्रत विधि !! Samyaktva pachisi vrat vidhi !!
सम्यक्त्व पचीसी व्रत विधि !! Samyaktva pachisi vrat vidhi !! सम्यक्त्व पचीसी व्रत व्रत की विधि— सम्यग्दर्शन की प्राप्ति और विशुद्धि के लिए यह व्रत किया जाता है। आठ अंगपूर्वक सम्यक्त्व को धारण करके शंकादि ८ दोष, ८ मद, ६ अनायतन और ३ मूढ़ता से दूर रहना ही इसका फल है। यह व्रत नियम

श्री जिनसहस्रनाम (लघु) व्रत विधि !! Shri jinsahasranam (laghu) vrat vidhi !!
श्री जिनसहस्रनाम (लघु) व्रत विधि !! Shri jinsahasranam (laghu) vrat vidhi !! श्री जिनसहस्रनाम व्रत विधि(लघु) किसी भी महिने में अष्टमी, चतुर्दशी व पंचमी आदि किसी भी तिथि को यह व्रत किया जा सकता है, व्रत करने की उत्तम विधि उपवास, मध्यम नीरस पेय (कांजी आदि) लेना, जघन्य एकाशन है। व्रत के दिन श्री जिनेन्द्र

षट्खण्डागम व्रत विधि !! Shatkhandagam vrat vidhi !!
षट्खण्डागम व्रत विधि !! Shatkhandagam vrat vidhi !! षट्खण्डागम व्रत विधि युग की आदि में भगवान ऋषभदेव ने अयोध्या में जन्म लिया। प्रजा को असि, मषि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प ऐसी षट् क्रियाओं का उपदेश देकर जीवनजीने की कला सिखाई, अनन्तर किसी समय वैराग्य को प्राप्त होकर इन्द्रों द्वारा लायी गई पालकी में बैठकर

चारित्रलब्धि ( वृहत् ) व्रत विधि !! Charitralabdhi (vrahat) vrat vidhi !!
चारित्रलब्धि ( वृहत् ) व्रत विधि !! Charitralabdhi (vrahat) vrat vidhi !! अनादिनिधन मूलमंत्र णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं। णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।। चारित्रलब्धिव्रत अहिंसा महाव्रत के १४ भेद (१) बादरैकेन्द्रियपर्याप्त १. ॐ ह्रीं मन:कृतबादरैकेन्द्रियपर्याप्तिंहसाविरतिमहाव्रताय नम:। २. ॐ ह्रीं मन:कारितबादरैकेन्द्रियपर्याप्तिंहसाविरतिमहाव्रताय नम:। ३. ॐ ह्रीं मनोऽनुमोदितबादरैकेन्द्रियपर्याप्तिंहसाविरतिमहाव्रताय नम:। ४. ॐ ह्रीं वचनकृतबादरैकेन्द्रियपर्याप्तिंहसाविरतिमहाव्रताय नम:। ५. ॐ ह्रीं वचनकारितबादरैकेन्द्रियपर्याप्तिंहसाविरतिमहाव्रताय नम:। ६. ॐ ह्रीं वचनानुमोदितबादरैकेन्द्रियपर्याप्तिंहसाविरतिमहाव्रताय नम:। ७. ॐ ह्रीं कायकृतबादरैकेन्द्रियपर्याप्तिंहसाविरतिमहाव्रताय नम:। ८. ॐ

वीरशासन जयंती व्रत विधि !! Veershasan jayanti vrat vidhi !!
वीरशासन जयंती व्रत विधि !! Veershasan jayanti vrat vidhi !! वीरशासन जयंती व्रत (श्री गौतम स्वामी व्रत विधि) आज से पच्चीस सौ छ्यासठ१ वर्ष पूर्व राजगृही के विपुलाचल पर्वत पर श्रावण कृष्णा प्रतिपदा के दिन भगवान महावीर स्वामी की प्रथम दिव्यध्वनि खिरी थी अत: यही पवित्र दिन ‘‘वीर शासन जयंती’’ पर्व के नाम से प्रसिद्धि

कवलचान्द्रायण व्रत विधि !! Kaval chandrayan vrat vidhi !!
कवलचान्द्रायण व्रत विधि !! Kaval chandrayan vrat vidhi !! योऽमावास्योपवासी प्रतिपदि कवलाहारमात्र: पुरस्तात्। तद्वृद्ध्या पौर्णमासीमुपवनयुतो न्हासयन्ग्रासमग्रे।। सामावास्योपवास: स भजति तपसश्चंद्रगत्यानुपूर्व्या। चार्व्या चांद्रायणस्य प्रविततयशस: कर्तृण: कर्तृभावं।।८।। (जिनसेनाचार्य विरचित हरिवंश पु. सर्ग ३४) अर्थ— इस कवल चांद्रायण व्रत की विधि को जिनसेन स्वामी ने हरिवंश पुराण में इस प्रकार बताई है कि—अमावस्या को उपवास करके शुक्लपक्ष की

अक्षय निधि व्रत विधि !! Akshaya nidhi vrat vidhi !!
अक्षय निधि व्रत विधि !! Akshaya nidhi vrat vidhi !! अक्षय निधि व्रत अक्षयनिधिनियमस्तु श्रावणशुक्ला दशमी भाद्रपदशुक्ला तत्कृष्णा चेति दशमीत्रयं पञ्चवर्षे यावत् व्रतं कार्यम्; दशमीहानौ तु नवम्यां वृद्धौ तु यस्मिन् दिने पूर्णा दशमी तस्मिन्नेव दिने व्रतं कार्यम्; वृद्धिगततिथौ सोदयप्रमाणेऽपि व्रतं न कार्यम्। अर्थ- अक्षय निधि व्रत श्रावण शुक्ला दशमी, भाद्रपद कृष्णा दशमी, भाद्रपद शुक्ला दशमी,