भारतीय संविधान में जैनों की स्थिति !! Status of Jains in Indian Constitution.
भारतीय संविधान में जैनों की स्थिति भारतीय संविधान के अनुच्छेद २५ (२ ख) के अनुसार ‘‘खंड (२) के उपखण्ड (ख) में हिन्दुओं के प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि उसके अंतर्गत सिक्ख, जैन या बौद्धधर्म के मानने वाले व्यक्तियों के प्रति निर्देश हैं और हिन्दुओं की धार्मिक संस्थाओं के प्रति निर्देश का अर्थ
जैनधर्म की प्राचीनता और स्वतंत्रता के विषय में न्यायालयों के निर्णय !! Court decisions regarding the antiquity and independence of Jainism.
जैनधर्म की प्राचीनता और स्वतंत्रता के विषय में न्यायालयों के निर्णय सन् १९२७- मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा एयर १९२७ मद्रास २२८ मुकदमे के निर्णय में जैनधर्म को स्वतंत्र, प्राचीन व ईसा से हजारों वर्ष पूर्व का माना। सन् १९३९- मुम्बई उच्च न्यायालय में एयर १९३९ मुम्बई ३७७ मुकदमे के निर्णय में कहा कि जैनधर्म वेदों को स्वीकार
सम्पूर्ण जैन आचार्य परंपरा || Sampoorn Jain Aachaary Parampara ||
प्राचीन जैन आचार्य परंपरा ३ अनुबद्ध केवली ३ अनुबद्ध केवली ( केवली भगवान गौतम स्वामी – सुधर्मा स्वामी – जम्बू स्वामी ) श्री यति वृषभाचार्य ने भगवान महावीर के निर्वाण के बाद केवली, श्रुत, केवली, ११ अंगधारक, दश अंग के एक देशधारक तथा आचारांग धारक आचार्यों का कथन तिलोयपण्णत्ति खण्ड दो में गाथा १४८८ से
शैक्षिक क्रांति के जनक: कर्मवीर भाऊराव पाटिल !! Father of Educational Revolution: Karmaveer Bhaurao Patil !!
शैक्षिक क्रांति के जनक: कर्मवीर भाऊराव पाटिल !! Father of Educational Revolution: Karmaveer Bhaurao Patil !! कर्मवीर भाऊराव पाटिल (जैन) महाराष्ट्र प्रांत के शैक्षिक क्रांति के जनक माने जाते हैं। आपने शिक्षा को जनसामान्य तक पहुँचाने के लिए पढ़ाई के साथ कमाई का सिद्धान्त लागू किया था। भारत में कर्मवीर भाऊराव पाटिल के नाम से
विश्व की प्राचीनतम लिपि: ब्राह्मी लिपि !! World’s oldest script: Brahmi script !!
विश्व की प्राचीनतम लिपि: ब्राह्मी लिपि !! World’s oldest script: Brahmi script !! ब्राह्मी लिपि भारतवर्ष की प्राचीनतम लिपि है। तीर्थंकर ऋषभदेव की ब्राह्मी और सुन्दरी दो पुत्रियाँ थीं। बाल्यावस्था में वे ऋषभदेव की गोद में जाकर बैठ गईं। ऋषभदेव ने उनके विद्याग्रहण का काल जानकर लिपि और अंकों का ज्ञान कराया। ब्राह्मी दायीं ओर
दानवीर भामाशाह !! Danveer Bhamashah !!
दानवीर भामाशाह !! Danveer Bhamashah !! भारतीय इतिहास में मेवाड़ोद्धारक दानवीर भामाशाह का नाम बड़े ही गौरव के साथ लिया जाता है। भामाशाह स्वामिभक्त एवं दानवीर होने के साथ—साथ जैनधर्म के परम श्रद्धालु श्रावक थे। हल्दी घाटी के युद्ध में पराजित महाराणा प्रताप के लिए उन्होंने अपनी निजी सम्पत्ति में इतना धन दान दिया था
आदि चिह्न : स्वस्तिक !! Ancient Symbol: Swastika !!
आदि चिह्न : स्वस्तिक !! Ancient Symbol: Swastika !! स्वस्तिक प्राचीन काल से जैन संस्कृति में मंगल प्रतीक माना जाता रहा है इसलिए किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वस्तिक चिह्न अंकित किया जाता है। शिलांकित प्राचीन स्वस्तिक दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व सम्राट् खारवेल के अभिलेख में और मथुरा के शिल्प में उपलब्ध
संविधान सभा में जैन !! Jain in the Constituent Assembly !!
संविधान सभा में जैन !! Jain in the Constituent Assembly !! भारत का संविधान २६ जनवरी, १९५० को लागू हुआ, जिसे गणतंत्र दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाते हैं। संविधान सभा लगभग ३ वर्ष (२ वर्ष, ११ महीने, १७ दिन) कार्यरत रही। उसके कुल ११ सत्र हुए और १६५ बैठकें हुई । प्रारूप समिति की १४१
भारतीय संविधान में भगवान वर्धमान !! lord vardhaman in indian constitution !!
भारतीय संविधान में भगवान वर्धमान !! lord vardhaman in indian constitution !! भारतीय संविधान की सुलिखित प्रति के ६३वें पृष्ठ पर अंकित जैनों के २४ वे तीर्थंकर वर्धमान—महावीर की तप में लीन मुद्रा का एक चित्र Vardhmana Mahavir, the 24th Tirthankara in a meditative posture, another illustration form the Calligraphed edition of the Constitution of India.