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पिल्लों के लिए घर

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कुत्ते के छोटे-छोटे बच्चे कूँ-कूँ करते बल्लु की तरफ दौड़ आते तब वे उन्हें भगाते नहीं थे। समझ जाते थे कि इन्हें ठंड लग रही है। अतः उन्हें पानी और ठंडी हवा से बचाने के लिए गीली बालू और टाटपट्टी के सहयोग से छोटे-छोटे घरघूले बना देते थे और उसमें पिल्लों को रख देते थे।

उनकी यह करुणा ही वर्तमान भारत में अनेक संतों के माध्यम से गौशाला निर्माण के क्षेत्र में देखी जा सकती है। पैरों पर बालू रखकर बनाए जानेवाले छोटे-छोटे घर पिल्लों के लिए थे तो वर्तमान में टीन और खपरों के घर गौशालाओं को भी प्राप्त हो रहे हैं।

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