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अध्यात्म चिंतन के धनी गुरुवर

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एक सुबह गुरुवर विमर्शसागरजी ससंघ जंगल गए थे। साथ में मुंगावली के कुछ ब्र. भैया भी थे। बिना ट्राली के ट्रेक्टर को तेज दौड़ते हुए देखकर गुरुवर ने मनोविनोद करते हुए बड़ी मार्मिक बात कही- “देखो-देखो ट्रेक्टर कितना तेज दौड़ रहा है।”
सभी ने मिलकर कहा- ‘महाराज श्री इसमें ट्राली नहीं है इसलिए तेज दौड़ रहा है।’
गुरुवर ने कहा- “इसीप्रकार जब तक स्त्रीरूपी ट्राली पुरुष रूपी ट्रेक्टर के साथ नहीं है तब तक ट्रेक्टर स्वतंत्र होकर तेज दौड़ सकता है। किन्तु जब स्त्री रूपी ट्राली साथ लग जाती है तो पुरुषरूपी ट्रेक्टर पराधीन होने से इच्छानुसार तेज नहीं दौड़ सकता, अतः स्त्री से सदैव ही दूर रहना चाहिए।”
सभी लोग मुनिवर का चिंतन सुनकर बोले- महाराजश्री ! आपने बड़ी मार्मिक बात कही है जो प्रेरणादायक है।

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