जैन शासन ध्वज !! jain flag !!

- यह ध्वज आकार में आयताकार है तथा इसकी लम्बाई व चौड़ाई का अनुपात 3:2 है।
- इस ध्वज में पाँच रंग हैं- लाल, पीला, सफेद, हरा और गहरा नीला। लाल, पीले, हरे, नीले रंग की पट्टियाँ चौड़ाई में समान हैं तथा सफेद रंग की पट्टी अन्य रंगों की पट्टी से चौड़ाई में दुगुनी होती है।
- ध्वज के बीच में जो स्वस्तिक है, उसका रंग केसरिया है। जैन समाज के इस सर्वमान्य ध्वज में पाँच रंगों को अपनाया गया है। ये पाँच रंग पंच परमेष्ठी के प्रतीक माने गए हैं। तो साथ ही इनका २४ तीर्थंकर के शरीर के वर्णों से भी संबंध है|
श्वेत रंग – अर्हन्त परमेष्ठी / चंदाप्रभु , पुष्पदंत
लाल रंग – सिद्ध परमेष्ठी / वासुपूज्य, विमलनाथ
पीला रंग – आचार्य परमेष्ठी / शेष १६ तीर्थंकर
हरा रंग – उपाध्याय परमेष्ठी / सुपार्श्वनाथ, पार्श्वनाथ
नीला रंग – साधु परमेष्ठी / मुनिसुव्रत, नेमिनाथ
स्फटिकं श्वेतं रक्तं च पीत-श्यामनिभं तथा |
एतत्पञ्चपरमेष्ठिनः पञ्चवर्णं यथाक्रमम् ||
जैन ध्वज पञ्च परमेष्ठी के प्रतीक के साथ साथ विश्व धर्म विश्वप्रेम , विश्व शान्ति का भी उद्घोषक है ध्वज चेतना, श्रद्धा,समर्पण का प्रतीक है। ध्वज गौरव और गरिमा से मण्डित उज्जवल आदर्शों संकल्पों के साथ साथ एकता अखण्डता का प्राण है। ध्वज को जिनशासन की प्रभावना का प्रतीक माना जाता है।
जैन ध्वज की मध्य पट्टिका पर अंकित स्वस्तिक जहाँ प्राचीनता को दर्शाता है, वही प्राणी के लक्ष्य को भी दर्शाता है तथा चतुर्गति का भी प्रतीक है।