साहसी मनुष्य
साहस मनुष्य का मनोबल बढ़ाता है। साहसी मनुष्य की सोच सदैव सकारात्मक होती है। साहसी मनुष्य ही अपने जीवन में उन्नति कर पाते हैं। साहस आत्मा की वह विशिष्ट शक्ति है, जो ऊर्जा को उत्पन्न करती रहती है। साहसी मानव कभी भयभीत नहीं होता। साहस मनुष्य को संघर्षशील बनाता है और केवल संघर्षशील ही नहीं बनाता, अपितु संघर्षों में भी प्रसन्नता का संचार करता है। जो मनुष्य साहसी नहीं होते, वे छोटे-छोटे संघर्षों में घबरा जाते हैं। साहसी मानव के जीवन में तनाव नहीं होता।
सूर्य की हर किरण साहस से भरी होती है। श्याम बादलों के आ जाने पर भी सूर्य किरण अपना हौंसला बुलन्द रखती है, बादल ही बिखरते हैं, सूर्य किरण नहीं। बादल ही मिटते हैं, सूर्य किरण नहीं। बादलों का असितत्व समाप्त होता है, सूर्य किरण का नहीं। प्रकृति हमें कुछ ऐसे ही संदेश देती है, किन्तु हम प्रकृति की इस मौन शिक्षा को समझने में चूक कर जाते हैं। प्रकृति का जीवन साहस और संकल्प की यात्रा है। भक्ति भी एक ऐसा ही साहसपूर्ण कार्य है। प्रभु की भक्ति साहसी व्यक्ति ही कर सकता है। परमात्मा की कृपा साहसी व्यक्ति पर ही बरसती है। परमात्म नाम की श्रद्धा इतनी गहन हो कि हमें आँधी तूफान भी भक्तिवान होने से न रोक पायें।
संसार सागर को पार करने के लिये साहस और संकल्प का होना अतिआवश्यक है। असंयम और मिथ्यात्व के तूफान हमें संसार सागर में ही डुबा देने वाले हैं। घर-परिवार के जो संगी-साथी हैं वे जलचर जीवों की तरह हमारा अहित करने वाले हैं। साहसी मनुष्य ही इस सत्य को स्वीकार कर पाते हैं। सच, ऐसे मानव ही आत्मा के उत्थान हेतु त्याग के लिये अंगीकार करते हैं। हमें आत्म कल्याण के लिये सम्यक्त्व का साहस व चारित्र का संकल्प लेना होगा।
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