कर्मवीर भाऊराव पाटिल (जैन) महाराष्ट्र प्रांत के शैक्षिक क्रांति के जनक माने जाते हैं। आपने शिक्षा को जनसामान्य तक पहुँचाने के लिए पढ़ाई के साथ कमाई का सिद्धान्त लागू किया था। भारत में कर्मवीर भाऊराव पाटिल के नाम से संचालित सबसे बड़ा रयत शिक्षण संस्थान है, जिसकी लगभग १००० शाखाएँ हैं। आपका संकल्प था कि जितने मेरी दाढ़ी में बाल हैं, उतने स्कूल खोलूँगा। आपने जीवन भर नंगे पैर चलकर गाँव—गाँव जाकर गरीब असहाय बच्चों को शिक्षा से जोड़कर लाखों बच्चों का भविष्य उज्जवल किया था। इस शैक्षिक क्रांति में आपकी पत्नी का महत्त्वपूर्ण योगदान था। बोर्डिंग में पढ़ने वाले छात्रों को त्यौहार में खिलाने के लिए जब एक अन्न का दाना भी नहीं था और पाटिलजी बाहर गये थे, तब आपने अपना मंगलसूत्र बेचकर बच्चों के भोजन की व्यवस्था की थी। भारत सरकार ने भाऊराव पाटिल को १९५९ में पद्म भूषण उपाधि से सम्मानित किया था। पूना विश्वविद्यालय ने डी. लिट् की उपाधि प्रदान की। आपके सम्मान में भारत सरकार द्वारा ०९—०५—१९८८ को ६० पैसे का डाक टिकट जारी किया गया है।