bhavlingisant.com

 विवेकी पुरुष


मनुष्य अवगुणों का पिण्ड है। परमात्मा सद्गुणों की जीती जागती तस्वीर है। दोनों मनुष्य और परमात्मा के मध्य संतात्मा अवगुण से सद्गुण की ओर बहनेवाली नदी की तरह हैं। अवगुणों के साथ जन्म लेना दुर्भाग्य नहीं अपितु अवगुणों को छोड़े बिना ही मरण को प्राप्त हो जाना दुर्भाग्य है। मनुष्य चाहे तो अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकता है। जो मनुष्य अवगुणों से मुक्त होकर सद्गुणों में जीना सीख लेते हैं वे ही विवेकी हैं। विवेक जीवन में नई क्रांति लाता है। विवेक आन्तरिक रूपान्तरण का विज्ञान है। विवेक से धर्म में प्रवेश संभव है। विवेकहीन व्यक्ति का धर्म कोरा परिश्रम है। विवेक से मन की दिशा में परिवर्तन किया जा सकता है। विवेक जीवन का बदलाव ही नहीं अपितु संजीवनी बूटी है। विवेक जिंदा आदमी की निशानी है।

विवेक बुराईयों से बचाता है। विवेकी पुरुष अपने अवगुणों को यानि क्रोध को क्षमा, मान को विनय, माया को सरलता और लोभ को संतोष गुणों में बदल लेता है। विवेक का अंकुश विकृतियों को उसी प्रकार नियंत्रित कर लेता है जिस प्रकार महावत का अंकुश हाथी को नियंत्रित करता है। विवेक मस्तिष्क की खुजली नहीं दिल की आवाज है। विवेक वक्त की माँग नहीं श्रेष्ठ जीवन का सुहाग है। विवेक मुर्गे की कलगी नहीं प्रभात में दी जाने वाली मुर्गे की बाँग है। जिसमें जागरण और आचरण का संदेश छिपा है। विवेक कोरी पहेली नहीं सम्यक् जीवन की सहेली है। विवेक ही मनुष्य का सच्चा साथी है। जो प्रतिकूलताओं में भी जीने की कला सिखाता है। विवेक बचपन में उंगली, यौवन में पत्नी और बुढ़ापे में लकड़ी का सहारा है। इसलिये मनुष्यों को चाहिये कि जीवन का निर्वाह नहीं अपितु विवेक पूर्वक जीवन का निर्माण करें।

गाड़ी में ब्रेक होना आवश्यक है। जीवन की गाड़ी में विवेक होना आवश्यक है। बिना ब्रेक की गाड़ी कितनी भी अच्छी और कीमती क्यों न हो किन्तु उसे कोई भी समझदार व्यक्ति स्वीकार नहीं कर सकता। इसीप्रकार अगर जीवन की गाड़ी में विवेक न हो, तो वह अवश्य ही विवाद का कारण

हो सकता है। विवेक के दर्पण में चित और चरित्र का दर्शन होता है। विवेक सुख शांति और आनन्द का पथ है। विवेक मन को ईश्वर और तन को मंदिर बना देता है। आज का विवेक ही कल का सौभाग्य है। सत्य की खोज में विवेक की अहम् भूमिका होती है। परिवार में संतुलन विवेक की तुला से ही बनाया जा सकता है। जो विवेक को स्वीकार करता है, परमात्मा भी उसे स्वीकार कर लेता है।


Youtube/ Jinagam Panth Jain Channel

Scroll to Top