bhavlingisant.com

रक्षाबंधन पर्व की शिक्षा


रक्षाबंधन पर्वो का पर्व है। धार्मिक सामाजिक समस्त पर्यों में रक्षाबंधन पर्व का एक अपना महत्व है। धर्म, समाज और देश की संस्कृति को गौरवान्वित करने में रक्षाबंधन पर्व की अपनी विशिष्ट पहिचान है। सम्पूर्ण मानवजाति को एकता, प्रेम, वात्सल्य और परस्पर सहयोग की पवित्र आभा से मंडित करने वाला यह रक्षाबंधन पर्व सम्पूर्ण पर्यों में आदर्श है। इस पर्व से जहाँ घर-परिवार की क्यारी सुवासित होती है, वहीं धर्म के प्रति समर्पण

और आस्था को भी नये आयाम मिलते हैं। इसलिये रक्षाबंधन पर्व का प्रत्येक मनष्य को स्वागत करना चाहिये।

जैन अपने त्यौहार मनाता है। हिन्दु अपने त्यौहार मनाता है। मुस्लिम, सिख, ईसाई अपने-अपने त्यौहार मनाते हैं। इस तरह सभी धर्म और जाति के लोग समय-समय पर अपने-अपने त्यौहार मनाकर आनंदित होते हैं, किन्तु आज हमें रक्षाबंधन जैसे सर्वमान्य त्यौहार को कुछ अधिक ही तरजीह देना चाहिये जिससे सभी में आपसी व्यवहार प्रेम और वात्सल्य का भाव बना रहे तथा एक-दूसरे के लिये भी जीना सिखाये। वास्तव में रक्षाबन्धन पर्व स्वार्थ से मुक्त कर एक-दूसरे के हित में जीना सिखाता है।

भाई-बहिन के लिये वर्ष में एक बार यह पर्व आपसी शिकवे को भुलाकर निश्छल प्रेम की डोरी से बार्धंता है। बहन के द्वारा भाई की कलाई पर बाँधी गई राखी, बहिन की रक्षा और भाई की परीक्षा का खुशनुमा वातावरण तैयार करती है। बहिन कहती है भैया हम और तुम एक ही डाली के दो फूल हैं। हमें इस घर से एक दिन दूसरे घर जाना होगा। उस समय तुम्हारा स्नहे ही हमें जीवन की प्रेरणा देगा। मरकर नये घर में जन्मना सरल है किन्तु जीते जी नये घर में जन्मना कठिन होता है। ऐसे समय में जब बहिन दुःखी हो, तो तुम बहिन की रक्षा करना।

Scroll to Top