त्रिलोकसार व्रत विधि
!! Triloksar vrat vidhi !!
त्रिलोकसार व्रत
त्रिलोकसार विधि-
जिसमें नीचे से पाँच से लेकर एक तक, फिर दो से लेकर चार तक और उसके बाद तीन से लेकर एक तक बिन्दु रखी जावें यह त्रिलोकसार विधि है। इसका प्रस्तार तीन लोक के आकार का बनाना चाहिए। इसमें तीस धारणाएँ अर्थात् तीस उपवास और ग्यारह पारणाएँ होती हैं। उनका क्रम यह है पाँच उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, एक उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, चार उपवास एक पारणा, तीन उपवास एक पारणा, दो उपवास एक पारणा और एक उपवास एक पारणा। इस विधि में ४१ दिन लगते हैं। इस विधि का फल कोष्ठबीज आदि ऋद्धियाँ तथा तीन लोक के शिखर पर तीन लोक का सारभूत मोक्ष सुख का प्राप्त होना है। इस व्रत में तीन लोक का मंत्र जपना चाहिए एवं तीन लोक की पूजा करनी चाहिए।
मंत्र-
ॐ ह्रीं अर्हं त्रैलोक्यसंबंधि-कृत्रिमाकृत्रिमजिनालयजिनबिम्बेभ्यो नम:।
अथवा
ॐ ह्रीं अर्हं त्रैलोक्यसंबंधि-अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुजिनधर्मजिनागमजिनचैत्यचैत्यालयेभ्यो नम:।
दोनों मंत्रों में से कोई भी मंत्र जपें या दोनों भी मंत्र कर सकते हैं।
या
त्रिलोकसार रचना के अनुसार विशेष विधि द्वारा किए जाने वाला एक व्रत जिसमें तीस उपवास एंव 11 पारणाएं होती हैं ।