चौंसठ ऋद्धि व्रत विधि


चोसठ ऋद्धि मंत्र की अपेक्षा चौंसठ व्रत करना चाहिए। व्रत के दिन उपवास करना उत्तम, अल्पाहार फल, दूध, मेवा या जल आदि लेना मध्यम और एक बार शुद्ध भोजन करना जघन्य विधि है। प्रत्येक माह में अष्टमी, चतुर्दशी आदि किसी भी दिन व्रत कर सकते हैं। व्रत पूर्ण कर ‘चौंसठ ऋद्धि मंडल विधान’ करके शक्ति के अनुसार चौंसठ शास्त्र, उपकरण आदि मंदिर में रखें। अनेक प्रकार की ऋद्धि-सिद्धि को प्राप्त करना, अनेक प्रकार के रोग, शोक, दु:ख, दारिद्र्य से छुटकारा पाना यह इसका फल है।
प्रत्येक व्रत का समुच्चय मंत्र-ॐ ह्रीं चतु:षष्टिऋद्धिभ्यो नम:।
चौंसठ व्रतों के ६४ मंत्र
चौंसठ ऋद्धि के १८ मंत्र
१. ॐ ह्रीं अवधिज्ञानबुद्धिऋद्धये नम:।
२. ॐ ह्रीं मन:पर्ययज्ञानबुद्धिऋद्धये नम:।
३. ॐ ह्रीं केवलज्ञानबुद्धिऋद्धये नम:।
४. ॐ ह्रीं बीजबुद्धिऋद्धये नम:।
५. ॐ ह्रीं कोष्ठबुद्धिऋद्धये नम:।
६. ॐ ह्रीं पदानुसारिणीबुद्धिऋद्धये नम:।
७. ॐ ह्रीं संभिन्नश्रोतृत्वबुद्धिऋद्धये नम:।
८. ॐ ह्रीं दूरास्वादित्वबुद्धिऋद्धये नम:।
९. ॐ ह्रीं दूरस्पर्शत्वबुद्धिऋद्धये नम:।
१०. ॐ ह्रीं दूरघ्राणत्वबुद्धिऋद्धये नम:।
११. ॐ ह्रीं दूरश्रवणत्वबुद्धिऋद्धये नम:।
१२. ॐ ह्रीं दूरदर्शित्वबुद्धिऋद्धये नम:।
१३. ॐ ह्रीं दशपूर्वित्वबुद्धिऋद्धये नम:।
१४. ॐ ह्रीं चतुर्दशपूर्वित्वबुद्धिऋद्धये नम:।
१५. ॐ ह्रीं अष्टांगमहानिमित्तबुद्धिऋद्धये नम:।
१६. ॐ ह्रीं प्रज्ञाश्रमणबुद्धिऋद्धये नम:।
१७. ॐ ह्रीं प्रत्येकबुद्धिऋद्धये नम:।
१८. ॐ ह्रीं वादित्वबुद्धिऋद्धये नम:।
विक्रिया के ११ मंत्र
१. ॐ ह्रीं अणिमाविक्रियाऋद्धये नम:।
२. ॐ ह्रीं महिमाविक्रियाऋद्धये नम:।
३. ॐ ह्रीं लघिमाविक्रियाऋद्धये नम:।
४. ॐ ह्रीं गरिमाविक्रियाऋद्धये नम:।
५. ॐ ह्रीं प्राप्तिविक्रियाऋद्धये नम:।
६. ॐ ह्रीं प्राकाम्यविक्रियाऋद्धये नम:।
७. ॐ ह्रीं ईशत्वविक्रियाऋद्धये नम:।
८. ॐ ह्रीं वशित्वविक्रियाऋद्धये नम:।
९. ॐ ह्रीं अप्रतिघातविक्रियाऋद्धये नम:।
१०. ॐ ह्रीं अंतर्धानविक्रियाऋद्धये नम:।
११. ॐ ह्रीं कामरूपविक्रियाऋद्धये नम:।
चारणऋद्धि के ९ मंत्र
१. ॐ ह्रीं नभस्तलगामित्वचारणक्रियाऋद्धये नम:।
२. ॐ ह्रीं जलचारणक्रियाऋद्धये नम:।
३. ॐ ह्रीं जंघाचारणक्रियाऋद्धये नम:।
४. ॐ ह्रीं फलपुष्पपत्रचारणक्रियाऋद्धये नम:।
५. ॐ ह्रीं अग्निधूमचारणक्रियाऋद्धये नम:।
६. ॐ ह्रीं मेघधाराचारणक्रियाऋद्धये नम:।
७. ॐ ह्रीं तंतुचारणक्रियाऋद्धये नम:।
८. ॐ ह्रीं ज्योतिश्चारणक्रियाऋद्धये नम:।
९. ॐ ह्रीं मरुच्चारणक्रियाऋद्धये नम:।
तपऋद्धि के ७ मंत्र
१. ॐ ह्रीं उग्रतप:ऋद्धये नम:।
२. ॐ ह्रीं दीप्ततप:ऋद्धये नम:।
३. ॐ ह्रीं तप्ततप:ऋद्धये नम:।
४. ॐ ह्रीं महातप:ऋद्धये नम:।
५. ॐ ह्रीं घोरतप:ऋद्धये नम:।
६. ॐ ह्रीं घोरपराक्रमतप:ऋद्धये नम:।
७. ॐ ह्रीं अघोरब्रह्मचारित्वतप:ऋद्धये नम:।
बलऋद्धि के ३ मंत्र
१. ॐ ह्रीं मनोबलऋद्धये नम:।
२. ॐ ह्रीं वचनबलऋद्धये नम:।
३. ॐ ह्रीं कायबलऋद्धये नम:।
औषधिऋद्धि के ८ मंत्र
१. ॐ ह्रीं आमर्शौषधिऋद्धये नम:।
२. ॐ ह्रीं क्ष्वेलौषधिऋद्धये नम:।
३. ॐ ह्रीं जल्लौषधिऋद्धये नम:।
४. ॐ ह्रीं मलौषधिऋद्धये नम:।
५. ॐ ह्रीं विपु्रुषौषधिऋद्धये नम:।
६. ॐ ह्रीं सर्वौषधिऋद्धये नम:।
७. ॐ ह्रीं मुखनिर्विषऋद्धये नम:।
८. ॐ ह्रीं दृष्टिनिर्विषऋद्धये नम:।
रसऋद्धि के ६ मंत्र
१. ॐ ह्रीं आशीर्विषऋद्धये नम:।
२. ॐ ह्रीं दृष्टिविषऋद्धये नम:।
३. ॐ ह्रीं क्षीरस्राविरसऋद्धये नम:।
४. ॐ ह्रीं मधुस्राविरसऋद्धये नम:।
५. ॐ ह्रीं अमृतस्राविरसऋद्धये नम:।
६. ॐ ह्रीं सर्पिस्राविरसऋद्धये नम:।
अक्षीणऋद्धि के २ मंत्र
१. ॐ ह्रीं अक्षीणमहानसऋद्धये नम:।
२. ॐ ह्रीं अक्षीणमहालयऋद्धये नम:।