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एकाशन से डरने वाला उपवासों का राजा बना!

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पर्युषण पर्व के अवसर पर दादीजी ने राकेश (गृहस्थावस्था का नाम) से कहा- ‘बेटा व्रतों में उपवास न सही, तो एकासन जरूर करो।’ राकेश ने बात मान ली और सुगंध-दशमी के दिन एकाशन किया, मगर शाम को भूख लग आई। किसी से कह न सका और भूख भी न सह सका। अतः अंधेरा होते ही बाजार की ओर निकल गए और फलाहार खरीद कर खा लिया। सोचने लगे ये लोग उपवास कैसे कर लेते हैं, मैं तो एकाशन भी नहीं कर पा रहा हूँ। कुछ देर बाद जब मंदिर गए तो भगवान के समक्ष प्रार्थना करने लगे हे प्रभु! मुझमें ऐसी शक्ति हो कि मैं भी व्रतोपवास कर सकूँ।
उनकी प्रार्थना में दम था अतः वे भविष्य में व्रतों और उपवासों के राजा सिद्ध हुए।

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