
कर्मनिर्जरा कथा एवं व्रत विधि !! Karmanirjara katha evam vrat vidhi !!
कर्मनिर्जरा कथा एवं व्रत विधि !! Karmanirjara katha evam vrat vidhi !! कर्मनिर्जरा व्रत विधि एवं कथा व्रतविधि— आश्विन सुदी ५ के दिन इन व्रतिकों को प्रासुक जल से अभ्यंगस्नान करके नया धौतवस्त्र पहनना चाहिए। सब पूजा-सामग्री हाथ में लेकर चैत्यालय में जाकर मंदिर की तीन प्रदक्षिणा करके ईर्यापथशुद्धि आदि क्रिया करके श्री जिनेन्द्र को

तपोञ्जलि व्रत विधि !! Taponjali vrat vidhi !!
तपोञ्जलि व्रत विधि !! Taponjali vrat vidhi !! तपोञ्जलि व्रत कींनाम तपोऽञ्जलिर्व्रतम्? द्वादशमासेषु निशिजलपानं न कत्र्तव्यमुपवासाश्चतुर्विंशतय: कार्या:, अष्टम्यां चतुर्दश्यां नैव नियम: अष्टम्यामेव चतुद्र्दश्यामेवेति। अर्थ- तपोऽञ्जलि व्रत की क्या विधि है? कैसे किया जाता है? आचार्य कहते हैं कि बारह महीनों तक अर्थात् एक वर्ष पर्यन्त रात को पानी नहीं पीना और एक वर्ष में चौबीस

मेरु पंक्ति व्रत विधि !! Meru pankti vrat vidhi !!
मेरु पंक्ति व्रत विधि !! Meru pankti vrat vidhi !! मेरु पंक्ति व्रत विधि पाँच मेरु संबंधी ८० चैत्यालयों के व्रत मेरू पंक्ति व्रत मे किये जाते हैं, इस व्रत का प्रारंभ श्रावण मास से माना जाता है। युग या वर्ष का प्रारंभ प्राचीन भारत में इसी दिन से होता है। श्रावण कृष्णा प्रतिपदा से

श्रुतज्ञान व्रत विधि !! Srutagyan vrat vidhi !!
श्रुतज्ञान व्रत विधि !! Srutagyan vrat vidhi !! श्रुतज्ञान व्रत (१) पहली विधि- श्रुतविधि उपवास में मतिज्ञान के २८, ग्यारह अंगों के ११, परिकर्म के २, सूत्र के ८८, प्रथमानुयोग का १, चौदह पूर्वों के १४, पाँच चूलिका के ५, अवधिज्ञान के ६, मन: पर्ययज्ञान के २ और केवलज्ञान का १, ऐसे १५८ उपवास करने होते

तीन चौबीसी व्रत विधि !! Teen chobisi vrat vidhi !!
तीन चौबीसी व्रत विधि !! Teen chobisi vrat vidhi !! तीन चौबीसी व्रत विधि व्रत विधि— जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र के वर्तमानकालीन तीर्थंकर श्री ऋषभदेव से लेकर श्री महावीरपर्यंत २४ हैंं। ऐसे ही भूतकालीन श्री निर्वाणनाथ से लेकर श्री शांतिनाथ पर्यंत २४ हैं, पुन: भविष्यत्कालीन श्रीमहापद्म से लेकर अनंतवीर्य पर्यंत चौबीस हैं। ये २४±२४±२४·७२ तीर्थंकर के

तेरहद्वीप व्रत(लघु) विधि !! Terahadveep vrat (laghu ) vidhi !!
तेरहद्वीप व्रत(लघु) विधि !! Terahadveep vrat (laghu ) vidhi !! तेरहद्वीप व्रत(लघु) तेरहद्वीपसंबंधी अकृत्रिम जिनमंदिरों के अतीव संक्षेप में तेरह व्रत करना है। किसी भी माह में, किसी भी तिथि को इन व्रतों को कर सकते हैं। व्रत के दिन तेरहद्वीप जिनालय पूजा करके प्रत्येक व्रत में एक-एक मंत्र का जाप्य करना है। व्रत की

गणधरवलय व्रत विधि !! Ganadhar valay vrat vidhi !!
गणधरवलय व्रत विधि !! Ganadhar valay vrat vidhi !! गणधरवलय व्रत विधि व्रत विधि— गणधरवलय मंत्र श्री गौतमस्वामी के मुखकमल से निकले हुए अत्यधिक महिमाशाली मंत्र हैं, ये संपूर्ण ऋद्धि- सिद्धि को देने वाले और सर्व रोगों को तथा सर्व संकटों को हरने वाले हैं। ये ४८ मंत्र हैं। इनके ४८ व्रत होते

रविव्रत विधि एवं कथा !! Ravivrat vidhi evam katha !!
रविव्रत विधि एवं कथा !! Ravivrat vidhi evam katha !! रविव्रत विधि एवं कथा आदित्यव्रते पार्श्वनाथार्कसंज्ञके आषाढमासे शुक्लपक्षे तत्प्रथमादित्यमारभ्य नवसु अर्कदिनेषु व्रतं कार्यं नववर्षं यावत्। प्रथमवर्षे नवोपवास:, द्वितीयवर्षे नवैकाशना:, तृतीयवर्षे नवकाञ्जिका:, चतुर्थवर्षे नवरूक्षा:, पञ्चमवर्षे नवनीरसा:, षष्ठवर्षे नवालवणा:, सप्तमवर्षे नवागोरसा:, अष्टमवर्षे नवोनोदरा:, नवमवर्षे अलवणा ऊनोदरा: नव। एवमेकाशीति: कार्या:। व्रतदिने श्रीपार्श्वनाथस्याभिषेकं कार्ये पूजनं च। समाप्तावुद्यापनं च कार्यम्,

नवग्रहशांति व्रत विधि !! Navagraha shanti vrat vidhi !!
नवग्रहशांति व्रत विधि !! Navagraha shanti vrat vidhi !! नवग्रहशांति व्रत विधि— वर्ष में तीन बार आष्टान्हिक पर्व आता है। उन्हीं पर्वों में एक दिन पहले से यह व्रत किया जाता है जैसे कि आषाढ़ शुक्ला सप्तमी से आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा तक। कार्तिक शु. सप्तमी से पूर्णिमा तक एवं फाल्गुन शु.७ से पूर्णिमा तक ऐसे