bhavlingisant.com

केक असली नहीं है

——————————————–

प्रसंग गुरुदेव की जन्म जयंती का है, अंकुर कॉलोनी, सागर-

कॉलोनी में स्थित मुनिवर की वसतिका को महरौनी और भिण्ड से आए भक्तों ने एक दिन पूर्व ही सजा दिया था, जिसमें गुब्बारे, थर्माकोल का केक आदि सजाकर रखे थे। जब मुनिवर दोपहर में आहारचर्या से लौटे और कक्ष की हालत देखी तो संकोच में पड़ गए, वहाँ नहीं बैठ सके, कुछ दूर दूसरे स्थान पर बैठ गए।

भक्तगण भयभीत हो गए, पूछने लगे- ‘हे मुनिवर, हमसे क्या त्रुटि हो गई ? आप कमरे में क्यों नहीं गए?’ जब सभी लोग विनयपूर्वक बार-बार पूछने लगे, तब मुनिवर ने स्पष्ट रूप से कहा- “पहले कमरे से गुब्बारे, केक थर्माकोल की सजावट हटाओ, तब विचार करेंगे।”
भक्तगण बोले- ‘महाराज केक असली नहीं है, वह थर्माकोल से बनाया गया है।’

तब मुनिवर ने समझाया असली हो या नकली, आपकी भावना तो केक तक चली गई, यह संयम नहीं है। ऐसे उपक्रम से धर्म और धर्मात्मा की निंदा होती है। भक्तगण समझ गए, शीघ्र ही अनावश्यक वस्तुओं को कमरे से हटा दिया गया, तब कहीं गुरुवर ने प्रवेश किया।

Scroll to Top